Tuesday, April 26, 2011
Monday, April 25, 2011
Saturday, April 23, 2011
Published: Tue, 27 Apr 2010
_केवल वीआईपी को ऑल इण्डिया शस्त्र लाइसेंस देना कहीं केन्द्र सरकार को पड़े न महँगा
_बुन्देलखण्ड क्षेत्र में धधक रही हैं आक्रोश की ज्वालायें।
_काग्रेंस के मिशन 2012 में यह कानून साबित हो सकता है पलीता।
चित्रकूट। शस्त्र संस्कृति के लिये कुख्यात बुन्देलखण्ड क्षेत्र में केन्द्र सरकार द्वारा जारी शस्त्र अधिनियम अध्यादेश के नये नियमों को लेकर जबर्दस्त आक्रोश है। लोगों ने इस निर्णय को तुगलकी फरमान की संज्ञा से नवाज़ा है। आलम यही रहा और आक्रोश नहीं थमा तो कागें्रस के मिशन 2012 को भी इस क्षेत्र में झटका मिलने से इंकार नहीं है।
बताते चलें कि वीर भूमि बुन्देलखण्ड का इतिहास ही हमेशा शस्त्रों से जुड़ा रहा है। प्राचीन समय में यहाँ मल्लयुद्ध के ज़रिये लोग बाहुबल का प्र्रदर्शन करते थे। लगभगलगभग प्रत्येक घर में एक युवा को अच्छा खानपान देकर उसे बाहुबली बनाया जाता था। फिर आया लठैतों का युग। इस समय मल्लयुद्ध का स्थान ले लिया लठैतों की फौज ने। धनबल और ऐश्वर्य का प्रदर्शन इन्ही लठैतों के आधार पर होने लगा। जिस आदमी के साथ चारछह हट्टेकट्टे लाठियों से मुश्तैद जवान होते उसे प्रभावशाली माना जाता रहा। धीरेधीरे फिर समय बदला और लाठियों की जगह ले ली बन्दूकों ने। बन्दूक (शस्त्र) बुन्देलखण्ड में शानोशौकत का प्रतीक मानी जाती है। चाहे व्यक्ति के पास रहने के लिये छप्पर हो, साइकिल से या पैदल चलता हो, तन में कपड़े भी फटे पुराने हो लेकिन शस्त्र हर कन्धे में ज़रुर देखने को मिलेगा।
इन शस्त्रों के बल पर ही यहाँ बाहुबली इतराते हैं तो गरीबों ने इन्हीं शस्त्रों को आजीविका का साध्य बना रखा है। लाइसेंस बनवाने के बाद यहाँ के हजारों लोग दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में जाकर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करके अपने परिवार का लालनपालन कर रहे हैं। आजादी के बाद बुन्देलखण्ड के सातों जिलों चित्रकूट, बाँदा, महोबा, हमीरपुर, झाँसी, जालौन, ललितपुर में शस्त्र लाइसेंसों की बारिश सी कर दी गई लेकिन इसके बावजूद आज भी लोगों में शस्त्र लाइसेंस की भूँख मिटी नहीं है। किसी भी राजनेता या सरकार से सबसे बड़ी अपेक्षा यदि होती है तो यहाँ पानी बिजली सड़क की नहीं बल्कि शस्त्र लाइसेंस की होती है। ऐसी स्थिति और परिस्थिति वाले बुन्देलखण्ड क्षेत्र में काग्रेंस सरकार के एक फरमान ने आक्रोश की ज्वालायें धधका दी हैं।
केन्द्र सरकार ने अभी हाल ही में शस्त्र अधिनियम अध्यादेश में एक नया संशोधन किया है। इस संशोधन के अनुसार अब तीन राज्यों या ऑल इण्डिया का शस्त्र लाइसेंस केवल वीआईपी का ही स्वीकृत होगा। वीआईपी में सांसद, विधायक, मंत्री, डाक्टर और वकील शामिल किये गये हैं। सरकार का यह फरमान अभी जिलाधिकारियों के पास तक नहीं पहुँचा लेकिन इसकी सुगबुगाहट मात्र से ही लोगों में केन्द्र सरकार के खिलाफ आक्रोश है। वर्तमान समय भी हजारों की तादाद में मध्यमवर्गीय लोगों के शस्त्र लाइसेंस स्वीकृति के लिये जिलों में पड़े हुए है। ऐसे में सरकार के इस आदेश से लोगों को बड़ा झटका सा लगा है। विशेषकर उन युवाओं को जो शस्त्र लाइसेंस बनवाकर रोजीरोज़गार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करने का सपना संजोये थे उनको भी बड़ा धक्का लगा है।
सपा सांसद आरके सिंह पटेल ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय में संशोधन की आवश्यकता बताई है। कहा पूँजीपतियों की इस सरकार ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उसका आम आदमी से कोई लेना देना नहीं है। चित्रकूट के जिला पंचायत अध्यक्ष वीर सिंह एवं समाजवादी छात्र सभा के राष्ट्रीय सचिव निर्भय सिंह पटेल ने भी शस्त्र अधिनियम के इस नये कानून में बदलाव किये जाने की मांग की हैं। माक्र्सवादी कम्युनिष्ठ पार्टी के जिला सचिव रुद्र प्रसाद मिश्र, भाजपा जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी, प्रान्तीय परिषद सदस्य हेमन्त प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी आदि ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय को तुगलकी फरमान की संज्ञा से नवाज़ा है। उधर काग्रेंस पार्टी के नेताओं ने केन्द्र सरकार द्वारा लिये गये इस निर्णय की मुक्तकंठ प्रशंसा की है। पार्टी के पीसीसी पुष्पेन्द्र सिंह, बरातीलाल पाण्डेय, लवलेश श्रीवास्तव, कुशल पटेल, गज्जू प्रसाद फौजी, विजयमणि त्रिपाठी आदि ने पार्टी के इस निर्णय को बुन्देलखण्ड की जनता के साथ एक बहुत बड़ा उपकार बताया है। कहा पार्टी ने सही समय में निर्णय लिया है अन्यथा ऐसी विकट स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा था जिससे क्षेत्र की समूची मानवता पर ही संकट मंडराता।
_बुन्देलखण्ड क्षेत्र में धधक रही हैं आक्रोश की ज्वालायें।
_काग्रेंस के मिशन 2012 में यह कानून साबित हो सकता है पलीता।
चित्रकूट। शस्त्र संस्कृति के लिये कुख्यात बुन्देलखण्ड क्षेत्र में केन्द्र सरकार द्वारा जारी शस्त्र अधिनियम अध्यादेश के नये नियमों को लेकर जबर्दस्त आक्रोश है। लोगों ने इस निर्णय को तुगलकी फरमान की संज्ञा से नवाज़ा है। आलम यही रहा और आक्रोश नहीं थमा तो कागें्रस के मिशन 2012 को भी इस क्षेत्र में झटका मिलने से इंकार नहीं है।
बताते चलें कि वीर भूमि बुन्देलखण्ड का इतिहास ही हमेशा शस्त्रों से जुड़ा रहा है। प्राचीन समय में यहाँ मल्लयुद्ध के ज़रिये लोग बाहुबल का प्र्रदर्शन करते थे। लगभगलगभग प्रत्येक घर में एक युवा को अच्छा खानपान देकर उसे बाहुबली बनाया जाता था। फिर आया लठैतों का युग। इस समय मल्लयुद्ध का स्थान ले लिया लठैतों की फौज ने। धनबल और ऐश्वर्य का प्रदर्शन इन्ही लठैतों के आधार पर होने लगा। जिस आदमी के साथ चारछह हट्टेकट्टे लाठियों से मुश्तैद जवान होते उसे प्रभावशाली माना जाता रहा। धीरेधीरे फिर समय बदला और लाठियों की जगह ले ली बन्दूकों ने। बन्दूक (शस्त्र) बुन्देलखण्ड में शानोशौकत का प्रतीक मानी जाती है। चाहे व्यक्ति के पास रहने के लिये छप्पर हो, साइकिल से या पैदल चलता हो, तन में कपड़े भी फटे पुराने हो लेकिन शस्त्र हर कन्धे में ज़रुर देखने को मिलेगा।
इन शस्त्रों के बल पर ही यहाँ बाहुबली इतराते हैं तो गरीबों ने इन्हीं शस्त्रों को आजीविका का साध्य बना रखा है। लाइसेंस बनवाने के बाद यहाँ के हजारों लोग दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में जाकर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करके अपने परिवार का लालनपालन कर रहे हैं। आजादी के बाद बुन्देलखण्ड के सातों जिलों चित्रकूट, बाँदा, महोबा, हमीरपुर, झाँसी, जालौन, ललितपुर में शस्त्र लाइसेंसों की बारिश सी कर दी गई लेकिन इसके बावजूद आज भी लोगों में शस्त्र लाइसेंस की भूँख मिटी नहीं है। किसी भी राजनेता या सरकार से सबसे बड़ी अपेक्षा यदि होती है तो यहाँ पानी बिजली सड़क की नहीं बल्कि शस्त्र लाइसेंस की होती है। ऐसी स्थिति और परिस्थिति वाले बुन्देलखण्ड क्षेत्र में काग्रेंस सरकार के एक फरमान ने आक्रोश की ज्वालायें धधका दी हैं।
केन्द्र सरकार ने अभी हाल ही में शस्त्र अधिनियम अध्यादेश में एक नया संशोधन किया है। इस संशोधन के अनुसार अब तीन राज्यों या ऑल इण्डिया का शस्त्र लाइसेंस केवल वीआईपी का ही स्वीकृत होगा। वीआईपी में सांसद, विधायक, मंत्री, डाक्टर और वकील शामिल किये गये हैं। सरकार का यह फरमान अभी जिलाधिकारियों के पास तक नहीं पहुँचा लेकिन इसकी सुगबुगाहट मात्र से ही लोगों में केन्द्र सरकार के खिलाफ आक्रोश है। वर्तमान समय भी हजारों की तादाद में मध्यमवर्गीय लोगों के शस्त्र लाइसेंस स्वीकृति के लिये जिलों में पड़े हुए है। ऐसे में सरकार के इस आदेश से लोगों को बड़ा झटका सा लगा है। विशेषकर उन युवाओं को जो शस्त्र लाइसेंस बनवाकर रोजीरोज़गार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करने का सपना संजोये थे उनको भी बड़ा धक्का लगा है।
सपा सांसद आरके सिंह पटेल ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय में संशोधन की आवश्यकता बताई है। कहा पूँजीपतियों की इस सरकार ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उसका आम आदमी से कोई लेना देना नहीं है। चित्रकूट के जिला पंचायत अध्यक्ष वीर सिंह एवं समाजवादी छात्र सभा के राष्ट्रीय सचिव निर्भय सिंह पटेल ने भी शस्त्र अधिनियम के इस नये कानून में बदलाव किये जाने की मांग की हैं। माक्र्सवादी कम्युनिष्ठ पार्टी के जिला सचिव रुद्र प्रसाद मिश्र, भाजपा जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी, प्रान्तीय परिषद सदस्य हेमन्त प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी आदि ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय को तुगलकी फरमान की संज्ञा से नवाज़ा है। उधर काग्रेंस पार्टी के नेताओं ने केन्द्र सरकार द्वारा लिये गये इस निर्णय की मुक्तकंठ प्रशंसा की है। पार्टी के पीसीसी पुष्पेन्द्र सिंह, बरातीलाल पाण्डेय, लवलेश श्रीवास्तव, कुशल पटेल, गज्जू प्रसाद फौजी, विजयमणि त्रिपाठी आदि ने पार्टी के इस निर्णय को बुन्देलखण्ड की जनता के साथ एक बहुत बड़ा उपकार बताया है। कहा पार्टी ने सही समय में निर्णय लिया है अन्यथा ऐसी विकट स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा था जिससे क्षेत्र की समूची मानवता पर ही संकट मंडराता।
चित्रकूट। समाजवादी पार्टी के बसपा हटाओ उत्तर प्रदेश बचाओ आंदोलन में पुलिस और सपाइयों के बीच चल रही आंखमिचौली में आखिरी दिन बुधवार को कार्यकर्ताओं ने पुलिस रणनीति को धता बताते हुए मुख्यमंत्री का पुतला फूंका और तहसील, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय एवं बिजली पावर हाउस में ताला डाल दिया। इस दौरान लगभग दो सौ सपाइयों को गिरफ्तार भी किया गया। जबकि सांसद को उनके आवास से पकड़ा गया। सभी गिरफ्तार सपाइयों को पुलिस लाइन में रखा गया है।
जिला मुख्यालय का माहौल बुधवार को सुबह से ही तनावपूणर् रहा। सांसद आवास से लेकर नगर प्रमुख चौराहों में भारी पुुलिस बल तैनात था, जबकि अपर पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार और अपर जिलाधिकारी राजाराम कोतवाली में डेरा जमाए थे। वहीं सीओ राजापुर प्रमोद कुमार और कोतवाली प्रभारी चंद्रधर गौड़ भ्रमण कर रहे थे। लेकिन इसके बाद भी सपाइयों ने तीन सरकारी भवनों में ताला लगा दिया। सांसद आरके सिंह पटेल आवास से निकल पाते, इसके पूर्व ही पुलिस ने उनको तमाम समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया और बसों में भरकर अस्थायी जेल पुलिस लाइन भेज दिया। सांसद के गिरफ्तार होते ही कार्यकर्ता सतर्क हो गए और पुलिस के साथ लुका-छुपी का खेल शुरू कर दिया। पूर्व जिलाध्यक्ष राजबहादुर यादव और गौरी शंकर मिश्रा के नेतृत्व में तमाम कार्यकर्ता बिजली पावर हाउस पहुंच गए, वहां पर उन्होंने पावर हाउस में जैसे ही ताला बंदी की तो भारी पुलिस बल ने घेरकर पकड़ लिया और बस में भर लाई।
प्रदेश सचिव और चित्रकूट प्रभारी दीपमाला सिंह पटेल कौशांबी से पुलिस को झांसा देकर कर्वी पहुंच गईं और उसने अपने कुछ समर्थकों के साथ मिलकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में ताला डाल दिया। वहीं पर धरना में बैठ प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। तभी सीओ प्रमोद कुमार और कोतवाल सीडी गौड़ पहुंच गए और हलका बल प्रयोग कर कोतवाली ले आए। वहीं दूसरी ओर जिलाध्यक्ष भइयालाल यादव और महामंत्री नरेंद्र गुप्ता ने चोरी छुुपे तमाम लोगों के साथ तहसील में धावा बोल दिया। उन्होंने तहसील में ताला डाल नारेबाजी शुरू ही की थी कि पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन देर दोपहर बाद सपाई अपने मकसद में कामयाब हो गए और कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने सदर चौराहा में पहुंच कर मुख्यमंत्री का पुतला फूंक दिया। जब तक पुलिस को सूचना मिलती, सभी लोग वहां से भाग गए। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने जले पुतलेे को उठाकर वहां से फेंका। फिलहाल पुलिस पुतला जलाने वाले कार्यकर्ताओं की सरगर्मी से तलाश कर रही है। गिरफ्तार किए गए सपाइयों में शक्ति प्रताप सिंह तोमर, फूलचंद्र करवरिया, सुनील सिंह, पवन पटेल, निर्भय सिंह, राजेंद्र शुक्ला, राजकुमार त्रिपाठी, मो. सलीम, अफजल अली, हीरालाल पटेल, शिवचरण आदि शामिल रहे।
जिला मुख्यालय का माहौल बुधवार को सुबह से ही तनावपूणर् रहा। सांसद आवास से लेकर नगर प्रमुख चौराहों में भारी पुुलिस बल तैनात था, जबकि अपर पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार और अपर जिलाधिकारी राजाराम कोतवाली में डेरा जमाए थे। वहीं सीओ राजापुर प्रमोद कुमार और कोतवाली प्रभारी चंद्रधर गौड़ भ्रमण कर रहे थे। लेकिन इसके बाद भी सपाइयों ने तीन सरकारी भवनों में ताला लगा दिया। सांसद आरके सिंह पटेल आवास से निकल पाते, इसके पूर्व ही पुलिस ने उनको तमाम समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया और बसों में भरकर अस्थायी जेल पुलिस लाइन भेज दिया। सांसद के गिरफ्तार होते ही कार्यकर्ता सतर्क हो गए और पुलिस के साथ लुका-छुपी का खेल शुरू कर दिया। पूर्व जिलाध्यक्ष राजबहादुर यादव और गौरी शंकर मिश्रा के नेतृत्व में तमाम कार्यकर्ता बिजली पावर हाउस पहुंच गए, वहां पर उन्होंने पावर हाउस में जैसे ही ताला बंदी की तो भारी पुलिस बल ने घेरकर पकड़ लिया और बस में भर लाई।
प्रदेश सचिव और चित्रकूट प्रभारी दीपमाला सिंह पटेल कौशांबी से पुलिस को झांसा देकर कर्वी पहुंच गईं और उसने अपने कुछ समर्थकों के साथ मिलकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में ताला डाल दिया। वहीं पर धरना में बैठ प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। तभी सीओ प्रमोद कुमार और कोतवाल सीडी गौड़ पहुंच गए और हलका बल प्रयोग कर कोतवाली ले आए। वहीं दूसरी ओर जिलाध्यक्ष भइयालाल यादव और महामंत्री नरेंद्र गुप्ता ने चोरी छुुपे तमाम लोगों के साथ तहसील में धावा बोल दिया। उन्होंने तहसील में ताला डाल नारेबाजी शुरू ही की थी कि पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन देर दोपहर बाद सपाई अपने मकसद में कामयाब हो गए और कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने सदर चौराहा में पहुंच कर मुख्यमंत्री का पुतला फूंक दिया। जब तक पुलिस को सूचना मिलती, सभी लोग वहां से भाग गए। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने जले पुतलेे को उठाकर वहां से फेंका। फिलहाल पुलिस पुतला जलाने वाले कार्यकर्ताओं की सरगर्मी से तलाश कर रही है। गिरफ्तार किए गए सपाइयों में शक्ति प्रताप सिंह तोमर, फूलचंद्र करवरिया, सुनील सिंह, पवन पटेल, निर्भय सिंह, राजेंद्र शुक्ला, राजकुमार त्रिपाठी, मो. सलीम, अफजल अली, हीरालाल पटेल, शिवचरण आदि शामिल रहे।
बसपा को उसके गढ़ चित्रकूटधाम मंडल में ही सपा तगड़ी चुनौती दे रही है। विपक्ष की भूमिका में भाजपा और कांग्रेस भी फिलहाल सपा के आगे बौने नजर आ रहे हैं। सपा के तीन दिवसीय आंदोलन ने साफतौर पर यही संदेश दिया है। मंडल के चारों जिलों में बसपा के आठ विधायक, एक सांसद, चार कैबिनेट मंत्री और एक दर्जन से ज्यादा ‘लालबत्ती’ वाले नेता हैं। जबकि सपा के खाते में मात्र दो अदद विधायक और एक सांसद है।
बसपा अपने वजूद में आने के समय से ही बुंदेलखंड में पांव जमा चुकी है। पिछले विधान सभा चुनाव में चित्रकूटधाम मंडल के चारों जनपदों में बसपा ने सबसे ज्यादा वोट बटोरे और ८ सीटों पर अपना परचम लहराया। मौजूदा में इस मंडल से बसपा के चार काबीना मंत्री और एक दर्जन से ज्यादा राज्य स्तरीय मंत्री का दर्जा पाए बसपा नेता हैं। सपा के मात्र दो विधायक हैं। इनमंे विशंभर सिंह यादव बबेरू और विशंभर प्रसाद निषाद तिंदवारी हैं। बांदा-चित्रकूट के सांसद सपा के (आरके सिंह पटेल) और हमीरपुर-महोबा में बसपा सांसद (विजय बहादुर सिंह) हैं। यानि चित्रकूटधाम मंडल में बसपा की एक मजबूत जमात है।बसपा सरकार के ‘माननीयों’ की भरमार के बाद भी यहां सपा का सिर उठाना बसपा के लिए खतरे की घंटी है। बुधवार को खत्म हुए सपा का तीन दिनी आंदोलन को सरकारी रिपोर्टों में भले ही फ्लाप बताया जा रहा हो लेकिन सड़कों पर सपाइयों ने अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। जमकर हुई पिटाई और जेल की हवा ने भी सपाइयों के जोश को कम नहीं किया। पूरे मंडल में लगभग १००० हजार सपाइयों ने गिरफ्तारी दीं। पुलिस से जमकर भिड़े भी। सपाइयों में जोश भी नजर आया। माना जा रहा है कि सपा नेताओं के तेवर ऐसे ही रहे तो अगले विधान सभा चुनाव में बसपा को यहां अपने गढ़ में मात खानी पड़ सकती है। कांग्रेस, भाजपा भी चित्रकूटधाम मंडल में अभी सपा की भूमिका में नहीं आ सके हैं। इन दोनों दलों का कोई भी आंदोलन अब तक धमाकेदार नहीं हुआ है। प्रशासन भी इन दोनों विपक्षी दलों की अपेक्षा सपाइयों से ज्यादा चौकन्ना रहता है। लड़ने-भिड़ने की आदत और कुव्वत सपाइयों में ज्यादा है।
जनपद विधान सभा क्षेत्र विधायक दल
बांदा बांदा सदर विवेक सिंह कांग्रेस
नरैनी पुरुषोत्तम द्विवेदी बसपा
बबेरू विशंभर सिंह यादव सपा
तिंदवारी विशंभर निषाद सपा
चित्रकूट कर्वी दिनेश मिश्रा बसपा
मानिकपुर दद्दू प्रसाद बसपा
हमीरपुर हमीरपुर सदर अशोक सिंह चंदेल बसपा
मौदहा बादशाह सिंह बसपा
राठ ध्रुराम चौधरी बसपा
महोबा महोबा सदर राकेश गोस्वामी बसपा
चरखारी अनिल अहिरवार बसपा
चित्रकूटधाम मंडल के सांसद
बांदा-चित्रकूट आरके सिंह पटेल सपा
हमीरपुर-महोबा विजयबहादुर सिंह बसपा
निकाय क्षेत्र हुस्ना सिद्दीकी बसपा (एमएलसी)
बसपा अपने वजूद में आने के समय से ही बुंदेलखंड में पांव जमा चुकी है। पिछले विधान सभा चुनाव में चित्रकूटधाम मंडल के चारों जनपदों में बसपा ने सबसे ज्यादा वोट बटोरे और ८ सीटों पर अपना परचम लहराया। मौजूदा में इस मंडल से बसपा के चार काबीना मंत्री और एक दर्जन से ज्यादा राज्य स्तरीय मंत्री का दर्जा पाए बसपा नेता हैं। सपा के मात्र दो विधायक हैं। इनमंे विशंभर सिंह यादव बबेरू और विशंभर प्रसाद निषाद तिंदवारी हैं। बांदा-चित्रकूट के सांसद सपा के (आरके सिंह पटेल) और हमीरपुर-महोबा में बसपा सांसद (विजय बहादुर सिंह) हैं। यानि चित्रकूटधाम मंडल में बसपा की एक मजबूत जमात है।बसपा सरकार के ‘माननीयों’ की भरमार के बाद भी यहां सपा का सिर उठाना बसपा के लिए खतरे की घंटी है। बुधवार को खत्म हुए सपा का तीन दिनी आंदोलन को सरकारी रिपोर्टों में भले ही फ्लाप बताया जा रहा हो लेकिन सड़कों पर सपाइयों ने अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। जमकर हुई पिटाई और जेल की हवा ने भी सपाइयों के जोश को कम नहीं किया। पूरे मंडल में लगभग १००० हजार सपाइयों ने गिरफ्तारी दीं। पुलिस से जमकर भिड़े भी। सपाइयों में जोश भी नजर आया। माना जा रहा है कि सपा नेताओं के तेवर ऐसे ही रहे तो अगले विधान सभा चुनाव में बसपा को यहां अपने गढ़ में मात खानी पड़ सकती है। कांग्रेस, भाजपा भी चित्रकूटधाम मंडल में अभी सपा की भूमिका में नहीं आ सके हैं। इन दोनों दलों का कोई भी आंदोलन अब तक धमाकेदार नहीं हुआ है। प्रशासन भी इन दोनों विपक्षी दलों की अपेक्षा सपाइयों से ज्यादा चौकन्ना रहता है। लड़ने-भिड़ने की आदत और कुव्वत सपाइयों में ज्यादा है।
जनपद विधान सभा क्षेत्र विधायक दल
बांदा बांदा सदर विवेक सिंह कांग्रेस
नरैनी पुरुषोत्तम द्विवेदी बसपा
बबेरू विशंभर सिंह यादव सपा
तिंदवारी विशंभर निषाद सपा
चित्रकूट कर्वी दिनेश मिश्रा बसपा
मानिकपुर दद्दू प्रसाद बसपा
हमीरपुर हमीरपुर सदर अशोक सिंह चंदेल बसपा
मौदहा बादशाह सिंह बसपा
राठ ध्रुराम चौधरी बसपा
महोबा महोबा सदर राकेश गोस्वामी बसपा
चरखारी अनिल अहिरवार बसपा
चित्रकूटधाम मंडल के सांसद
बांदा-चित्रकूट आरके सिंह पटेल सपा
हमीरपुर-महोबा विजयबहादुर सिंह बसपा
निकाय क्षेत्र हुस्ना सिद्दीकी बसपा (एमएलसी)
lalsinghphजिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का आरोप लगाने से मामला गरमाया
- जिला पंचायत सदस्यों ने लिखित रूप से स्वीकारा कि नहीं हुआ अपहरण
चित्रकूट, कार्यालय संवाददाता : जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सपा प्रत्याशी के नामांकन के दौरान सांसद व सपा के नेता जैसे है नामांकन स्थल पहुंचे वैसे ही पुलिस ने पहुंचकर कुछ जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का आरोप लगा दिया। जिससे सभी आक्रोशित हो उठे। नामांकन कार्यालय के बाहर ही पुलिस व सपाइयों में तीखी नोकझोंक होने लगी। मामला काफी बिगड़ गया। हालात नाजुक बनने पर सहायक निर्वाचन अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को शांत कराया।
रविवार को कलेक्ट्रेट स्थित नामांकन स्थल में पहुंचे सपाईयों को पहले गेट पर ही पुलिस ने रोक दिया। प्रत्याशी ममता देवी के साथ दो प्रस्तावक व दो अन्य लोग नामांकन कराने पहुंचे। गेट पर सांसद आरके सिंह पटेल, सांसद बाल कुमार, जिला पंचायत अध्यक्ष वीर सिंह व सपा जिलाध्यक्ष भइयालाल यादव ने जिला निर्वाचन अधिकारी विशाल राय को शिकायत दर्ज कराई। जिस पर उन्होनें सहायक निर्वाचन अधिकारी बीपी खरे से सभी को अंदर बुलाने के लिये कहा। जैसे ही ये सभी सपा नेता नामांकन स्थल पर पहुंचे वैसे ही शहर कोतवाल चन्द्रधर गौड मय फोर्स के साथ पहुंच गये। कोतवाल ने सांसद व सपाइयों पर जिला पंचायत सदस्य अनीता सिंह व कविता जाटव का अपहरण करने का आरोप लगाया। इतना सुनते ही सांसद ने आरोपों को गलत बताते हुए इसकी जांच कराने को कहा। काफी बहस के बाद अंत में सपा प्रत्याशी ममता देवी की प्रस्तावक कविता जाटव व अनीता सिंह ने लिखित रूप से बताया कि दोनों का अपहरण नहीं किया गया। बल्कि दोनों स्वेच्छा से इनकी प्रस्तावक बनी हैं। otographer.blogspot.com
- जिला पंचायत सदस्यों ने लिखित रूप से स्वीकारा कि नहीं हुआ अपहरण
चित्रकूट, कार्यालय संवाददाता : जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सपा प्रत्याशी के नामांकन के दौरान सांसद व सपा के नेता जैसे है नामांकन स्थल पहुंचे वैसे ही पुलिस ने पहुंचकर कुछ जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का आरोप लगा दिया। जिससे सभी आक्रोशित हो उठे। नामांकन कार्यालय के बाहर ही पुलिस व सपाइयों में तीखी नोकझोंक होने लगी। मामला काफी बिगड़ गया। हालात नाजुक बनने पर सहायक निर्वाचन अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को शांत कराया।
रविवार को कलेक्ट्रेट स्थित नामांकन स्थल में पहुंचे सपाईयों को पहले गेट पर ही पुलिस ने रोक दिया। प्रत्याशी ममता देवी के साथ दो प्रस्तावक व दो अन्य लोग नामांकन कराने पहुंचे। गेट पर सांसद आरके सिंह पटेल, सांसद बाल कुमार, जिला पंचायत अध्यक्ष वीर सिंह व सपा जिलाध्यक्ष भइयालाल यादव ने जिला निर्वाचन अधिकारी विशाल राय को शिकायत दर्ज कराई। जिस पर उन्होनें सहायक निर्वाचन अधिकारी बीपी खरे से सभी को अंदर बुलाने के लिये कहा। जैसे ही ये सभी सपा नेता नामांकन स्थल पर पहुंचे वैसे ही शहर कोतवाल चन्द्रधर गौड मय फोर्स के साथ पहुंच गये। कोतवाल ने सांसद व सपाइयों पर जिला पंचायत सदस्य अनीता सिंह व कविता जाटव का अपहरण करने का आरोप लगाया। इतना सुनते ही सांसद ने आरोपों को गलत बताते हुए इसकी जांच कराने को कहा। काफी बहस के बाद अंत में सपा प्रत्याशी ममता देवी की प्रस्तावक कविता जाटव व अनीता सिंह ने लिखित रूप से बताया कि दोनों का अपहरण नहीं किया गया। बल्कि दोनों स्वेच्छा से इनकी प्रस्तावक बनी हैं। otographer.blogspot.com
Friday, April 22, 2011
Monday, April 18, 2011
Thursday, April 14, 2011
Wednesday, April 13, 2011
Thursday, April 7, 2011
हमारे लिए भूखा है 77 साल का अन्ना, अब तो जागो
अन्ना होने के मायने महज वही नहीं है, जो दिख रहा है। 77 साल की उम्र में करप्शन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाले अन्ना हजारे को नए युग का गांधी बताया जा रहा है। भले ही लोकपाल को लेकर उनकी चिंता से सहमति-असहमति के हज़ार पक्ष हों, पर इस बात से कौन इनकार करेगा कि इस बुजुर्ग को तमाम नौजवानों को शर्मसार कर दिया है, उनकी सुविधाभोगी और संतुष्टि की हद पार कर जाने वाली मानसिकता के लिए। युवा फोटो पत्रकार लाल सिंह ने दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना के अनशन के मौके की कुछ तस्वीरें चौराहा के लिए कैप्चर की हैं, जिनमें भीड़ ने उमा भारती और ओमप्रकाश चौटाला को `साइमन’ वाली स्टाइल में वापस जाने को कह दिया
Subscribe to:
Posts (Atom)