Thursday, August 18, 2011

अन्ना हजारे

अपने साथियों की शहादत से अन्ना का हृदय परिवर्तन हुआ. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज के हित से लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने संकल्प लिया कि अब वह देश और देशवासियों की सेव करेंगे.

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे कौन हैं? उनके जीवन पर एक नज़र.


सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित

1975 में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अन्ना ने अपने जीवन को दिशा दी.

अन्ना की राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के धुर विरोधी सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पहचान 1995 में बनी थी जब उन्होंने शिवसेना-बीजेपी की सरकार के कुछ 'भ्रष्ट' मंत्रियों को हटाए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की.

1990 तक हजारे की पहचान एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता हुई, जिसने अहमदनगर जिले के रालेगांव सिद्धि नाम के गांव की कायापलट कर दी थी.

इस गांव में बिजली और पानी की जबर्दस्त किल्लत थी. अन्ना ने गांव वालों को नहर बनाने और गड्ढे खोदकर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया. और खुद भी इसमें योगदान दिया.

अन्ना के कहने पर गांव में जगह-जगह पेड़ लगाए गए. गांव में सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली की सप्लाई की गई. इसके बाद उनकी लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हुआ.

भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ प्रदर्शन

नई दिल्ली। महात्मा गांधी के बारे में जानने और समझने में अब तक केवल किताबें ही बच्चों की मदद किया करती थीं लेकिन जंतर-मंतर पर अनशन करने वाले गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को देखने वाले बच्चे उन्हें दूसरा गांधी कहने लगे हैं।

अन्ना 2003 में कांग्रेस और एनसीपी सरकार के चार भ्रष्ट मंत्रियों-सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक, विजय कुमार गावित और पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गए.

हजारे का विरोध काम आया और सरकार को झुकना पड़ा. तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इसके बाद एक जांच आयोग का गठन किया.

मलिक ने इस्तीफे दे दिया. आयोग ने जैन के खिलाफ आरोप तय किए तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

अपनी धुन के पक्के अन्ना हजारे 1990 में सरकार से 'पद्मश्री' सम्मान से नवाजे जा चुके हैं


कुल 97 घंटे तक चले अनशन के दौरान अन्ना हजारे को देखने वाले बच्चों का कहना है कि उन्हें देखना उनके लिए कभी न भुलाने वाली बात है। अहिंसक आंदोलन के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले 73 वर्षीय गांधीवादी अन्ना हजारे ने जब एक बच्ची के हाथों नीबू पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा था तब वहां अपने शिक्षकों और अभिभावकों के साथ पहुंचे बच्चों ने नाच गाकर जमकर जश्न मनाया था।
अन्ना हजारे ने सरकार द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी कानून बनाने को लेकर उनकी सभी मांगें माने जाने के बाद अनशन खत्म किया था। इस दौरान यहां मौजूद सैकड़ों बच्चे इस दृश्य को देखकर बेहद खुश नजर आए क्योंकि इस माहौल के बारे में उन्होंने केवल किताबों में पढ़ा था। जंतर मंतर पर मौजूद सेंट मिशेल स्कूल के 11वीं कक्षा की छात्रा सुभा सलुजा ने कहा, "मैंने पढ़ा है कि गांधी महान थे लेकिन मैंने उन्हें देखा नहीं। मैं नहीं जानती थी कि अन्ना हजारे कौन हैं लेकिन अब मैं उन्हें मेरे गांधी कहती हूं।"

अन्ना हजारे के समर्थन में स्कूलों के सैकड़ों बच्चे झंडे और बैनर लेकर धरना स्थल पहुंचे थे। गुडगांव के ब्लू बेल्स पब्लिक स्कूल के रेणु जैन ने कहा कि अन्ना हजारे के विरोध का तरीका गांधीवादी है और यह विरोध हमें बेहतर नागरिक बनाने के लिए है। रेणु ने कहा, "यदि अन्ना हजारे हमारे लिए अनशन कर सकते हैं तो हम अपने देश के लिए अच्छे नागरिक क्यों नहीं बन सकते।" सरदार पटेल विद्यालय की कक्षा छठवीं की छात्रा आकांक्षा अग्रवाल ने कहा, "चुपचाप बैठने से कुछ नहीं होगा, अपने आसपास की चीजों को बदलने के लिए आगे आना होता है।"
बेंगलुरु। एक तरफ पूरा देश जहां अन्ना हजारे के साथ उठ खड़ा हुआ है वहीं दूसरी तरफ बॉलीवुड में कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दीन-दुनिया की कोई खबर ही नहीं। वैसे तो अन्ना की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में बॉलीवुड ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया लेकिन बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का कहना है कि उनके पास इन सब चीजों के लिए फुर्सत नहीं।

अन्ना के बारे में जब सरोज खान से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं पिछले चार दिनों से अपने काम में बहुत व्यस्त हूं। मैं पिछली चार रातों से सोई नहीं हूं और दिन रात काम कर रही हूं। मुझे सिर्फ मेरे काम से मतलब है राजनीति से नहीं और ना ही मुझे राजनीति के बारे में कोई जानकारी है। इसलिए मुझसे ऐसे सवाल मत पूछिए जो कि मुझ पता ही न हो।' भ्रष्टाचार के विरोध में आमरण अनशन पर बैठे हजारे ने शनिवार को अपना आमरण अनशन तोड़ा। जब सरकार हजारे की शर्ते मानने को तैयार हो गई।.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के समर्थन में आगे आए बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने शुक्रवार को कहा कि जिस तरह फिल्मों में अन्याय के खिलाफ लड़ा जाता है उसी तरह असल जिंदगी में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'जिस तरह हम फिल्मों में अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं और वहां अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत होती है, उसी तरह हमें वास्तविक जीवन में भी भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहिए। जनता की शक्ति प्रबल होनी चाहिए।

अनुपम फिल्मकार प्रीतीश नंदी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जंतर मंतर पर आमरण अनशन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए वहां पहुंचे थे। शुक्रवार को अन्ना हजारे के आमरण अनशन का चौथा दिन है। उन्होंने कहा, मैं बतौर एक फिल्म अभिनेता नहीं बल्कि देश के एक आम नागरिक की तरह यहां आया हूं। हम यहां अन्ना हजारे का समर्थन करने के लिए आए हैं।.....

देश प्रेमी हूं, क्या ये बताना हमेशा जरूरी है : अमिताभ बच्चन

नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन पर जब तक लोगों ने बिग बी के लिए शोर नहीं मचाया तब तक अमिताभ आगे नहीं आये इस बात पर अमिताभ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह देश की बेहतरी के लिए होने वाले हर अभियान का समर्थन करते हैं और उन्हें हर बार अपना समर्थन जताने की आवश्यकता नहीं है।

अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा, कोई भी काम या योजना जो देश के हित में होती है, उसकी सराहना करते हैं हम और इसका ढिंढोरा हम पीटना नहीं चाहते और ना ही हमें इस का ज्ञान है कि वो पीटा कैसे जाता है। दरअसल अमिताभ का ब्लॉग पढ़ने वाली एक पाठक पूजा ने सवाल उठाया था कि वह अन्ना हजारे के आमरण अनशन पर खामोश क्यों हैं और अन्य कलाकारों की तरह कुछ बोलते क्यों नहीं।.....

अन्ना का मूल नाम किशन बाबूराव हजारे है. उनका जन्म 15 जून, 1938 को महाराष्ट्र के भिंगारी गांव में हुआ.

1962 में चीन से युद्ध के बाद भारत सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील के बाद अन्ना सेना में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए थे.

1965 की पाकिस्तान के साथ लड़ाई में उनकी तैनाती खेमकरण सेक्टर में थी. चौकी पर पाकिस्तान के हमले में वहां तैनात सारे सैनिक शहीद हो गए. बमबारी और सैनिकों की शहादत ने अन्ना की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया.

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